Monday, June 24, 2013

उत्तराखंड में फसे लोगो की त्रासदी

प्रक्रति का भयानक प्रकोप तो उत्तराखंड झेल ही रहा है परन्तु वह फसे लोगो को प्रक्रति के साथ -२ मनुष्यों का प्रकोप भी झेलना पड़ रहा है | वहा पर उनकी सहायता केवल सेना या आई टी बी पी के जवान ही कर रहे है | स्थानीय प्रसाशन बिलकुल नदारद है |

कुछ दिनों से अखबारों में छपी खबरे पढ़कर मन विचलित हो गया | लोग लाशो में से भी पैसे, मोबाइल निकल रहे है लूट खसोट रहे है मरे हुए लोगो को | हाय रे प्रभु तेरी लीला | आज अख़बार में पढ़ा की वह फसे लोगो को निकालने के लिए जो स्पेशल ट्रेन चलाई गयी है उसमे भी लोगो को बिना टिकट लिए चढ़ने नहीं दिया गया |

सोचने की बात ये है की उन लोगो के शरीर पर कपडे भी लेश मात्र बचे है वो किराया कहा से देंगे , वाह रे हमारा प्रसाशन ! मानवता तो ख़त्म हो ही ली है | वहां फसे लोगो को पारले जी का ५ रूपये का पैकेट १०० रूपये में रोटी २०० रूपये में !!
हाय रे इंसानों तुमसे अच्छे तो जानवर ही है, कुछ तो शर्म करो !!!!!!

Tuesday, June 11, 2013

अपना दिल भी बच्चा लगता है |

लू के थपेड़ो के बीच ठंडी हवा का झोका
अच्छा लगता है |
कभी -२ किसी की हँसी की खातिर झूट भी
सच्चा लगता है |
यु तो समय की आंधियो में झुर्रियो के साथ
पक चुके है बाल भी |
फिर भी कही किसी कोने में अपना दिल भी
बच्चा लगता है |