वो तंज कसते रहते है मेरी हर बात पर |
में अपने जज्बातों को हँसी में ढाल लेता हु ||
वो कोई मोका नहीं छोड़ते मुझे रुसवा करने का |
मगर गिरकर भी मै खुद को संभाल लेता हु ||
में अपने जज्बातों को हँसी में ढाल लेता हु ||
वो कोई मोका नहीं छोड़ते मुझे रुसवा करने का |
मगर गिरकर भी मै खुद को संभाल लेता हु ||