एक नयी सुबह
एक नया एहसास
लहता है जैसे तुम
यही हो मेरे पास |
अलसाई आँखों से
ढूंढता हू तुझे
फिर तन्द्रा टूटती है
तो खोजता हू तुझे |
खिड़की से आती किरने
बतलाती है मुझे
क्यों ढूंढता है उन यादो को
जो सताती है तुझे |
मैंने कहा जीवन
यादो से ही चलता है
तभी तो आँखों मै
उसका सपना पलता है |
जिसने कुछ खोया नहीं
वो मेरा गम कैसे जानेगा
गर लगी चोट कभी दिल पे
तब ही हकीकत मानेगा |
चल उठ “संदीप”
तुझे अकेले ही चलना है
जिन्दगी का सफ़र आगे
तन्हा पूरा करना है |
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