Tuesday, April 29, 2014

सलीका नहीं आया

जिन्दगी जीने का कभी सलीका नहीं आया |
मुझे रूठो को मानाने का तरीका नहीं आया ||

ताउम्र भटकता रहा जाने किसकी तलाश में |
प्यासा होंके भी पीने का सलीका नहीं आया ||

Monday, December 23, 2013

मेरी बेटी



तेरी प्यारी बाते सुनके
मिट जाती मेरी थकान |
मेरी प्यारी गुडिया तू है
अपने पापा कि जान ||

छोटी -२ उंगलियों से
पकड़ के मेरा हाथ |
मुझसे कहती पापा तुम
मुझे भी ले चलो साथ ||

रोज मेरे आने पर
भाग कर दरवाजा खोलती |
आँखों से कर लेती बाते
मुह से कुछ ना बोलती ||

रोज मुझसे कहती
पापा ऑफिस क्यों जाते हो |
जब आप चले जाते हो तो
मुझे याद बहुत आते हो ||

नन्हे नन्हे पैरो से
सारे घर मे वो भागे |
तुझे पकड़ने को दोडू
पर तू रहे हमेशा आगे ||

रोज तू मुझसे पूछे
ना जाने कितने सवाल |
जवाब देते देते मेरा भी
हो जाता है बुरा हाल ||

बाय करे मुझसे ओर कहे
पापा जल्दी आना |
पर आते हुए आप मेरी
चोकलेट जरुर ले आना ||

कभी अगर हो उदास तू
घर मे सन्नाटा छा जाए |
सब कुछ लगे सूना सूना
किसी को कुछ ना भाए ||

तेरे मासूम से चेहरे पर
सदा खिली रहे मुस्कान |
मेरी प्यारी गुडिया तू है
अपने पापा कि जान ||

गाँव का बचपन



बारिश के बाद
मिटटी की सोंधी खुशबू
लहलहाते खेत
ओर ठंडी हवाए |

मत जाना तू
लौट कर परदेश
लगता है ये कहके
सब मुझे बुलाये ||

जिन्दगी की भागदोड़ मे
सब पीछे छुट गया
खो गया बचपन
ओर गाँव भी छुट गया |

अब एक मेहमान बनकर
यहाँ आता हू लगता है
भीड़ मे अकेला
खुद को पाता हू लगता है ||

चूल्हे पे बनी रोटी
वही बैठ कर खाना
पेट भरने के बाद भी
एक ओर रोटी खाना |

वो सर्दियों मे गन्ने
खेत से चुन के लाना
मेरे कोई ना ले ले
इस डर से थोड़े छुपाना ||

हांड़ी मे बनी सब्जी का
स्वाद अभी बाकी है
कोल्हू के ताजे गुड की
मिठास अभी बाकी है |

मन करता है कि
फिर से छोटा हो जाऊ
ओर अपने गाँव मे
अपना बचपन जी पाऊ ||

एक नयी सुबह



एक नयी सुबह
एक नया एहसास
लहता है जैसे तुम
यही हो मेरे पास |

अलसाई आँखों से
ढूंढता हू तुझे
फिर तन्द्रा टूटती है
तो खोजता हू तुझे |

खिड़की से आती किरने
बतलाती है मुझे
क्यों ढूंढता है उन यादो को
जो सताती है तुझे |

मैंने कहा जीवन
यादो से ही चलता है
तभी तो आँखों मै
उसका सपना पलता है |

जिसने कुछ खोया नहीं
वो मेरा गम कैसे जानेगा
गर लगी चोट कभी दिल पे
तब ही हकीकत मानेगा |

चल उठ “संदीप”
तुझे अकेले ही चलना है
जिन्दगी का सफ़र आगे
तन्हा पूरा करना है |